Skip to content
Facebook Twitter Google-plus Youtube Microphone
  • Home
  • About Us
  • Contact Us
Menu
  • Home
  • About Us
  • Contact Us
Swasthyer Britte Archive
Search
Generic filters
  • আরোগ্যের সন্ধানে
  • ডক্টর অন কল
  • ছবিতে চিকিৎসা
  • মা ও শিশু
  • মন নিয়ে
  • ডক্টরস’ ডায়ালগ
  • ঘরোয়া চিকিৎসা
  • শরীর যখন সম্পদ
  • ডক্টর’স ডায়েরি
  • স্বাস্থ্য আন্দোলন
  • সরকারি কড়চা
  • বাংলার মুখ
  • বহির্বিশ্ব
  • তাহাদের কথা
  • অন্ধকারের উৎস হতে
  • সম্পাদকীয়
  • ইতিহাসের সরণি
Menu
  • আরোগ্যের সন্ধানে
  • ডক্টর অন কল
  • ছবিতে চিকিৎসা
  • মা ও শিশু
  • মন নিয়ে
  • ডক্টরস’ ডায়ালগ
  • ঘরোয়া চিকিৎসা
  • শরীর যখন সম্পদ
  • ডক্টর’স ডায়েরি
  • স্বাস্থ্য আন্দোলন
  • সরকারি কড়চা
  • বাংলার মুখ
  • বহির্বিশ্ব
  • তাহাদের কথা
  • অন্ধকারের উৎস হতে
  • সম্পাদকীয়
  • ইতিহাসের সরণি
  • আরোগ্যের সন্ধানে
  • ডক্টর অন কল
  • ছবিতে চিকিৎসা
  • মা ও শিশু
  • মন নিয়ে
  • ডক্টরস’ ডায়ালগ
  • ঘরোয়া চিকিৎসা
  • শরীর যখন সম্পদ
  • ডক্টর’স ডায়েরি
  • স্বাস্থ্য আন্দোলন
  • সরকারি কড়চা
  • বাংলার মুখ
  • বহির্বিশ্ব
  • তাহাদের কথা
  • অন্ধকারের উৎস হতে
  • সম্পাদকীয়
  • ইতিহাসের সরণি
Menu
  • আরোগ্যের সন্ধানে
  • ডক্টর অন কল
  • ছবিতে চিকিৎসা
  • মা ও শিশু
  • মন নিয়ে
  • ডক্টরস’ ডায়ালগ
  • ঘরোয়া চিকিৎসা
  • শরীর যখন সম্পদ
  • ডক্টর’স ডায়েরি
  • স্বাস্থ্য আন্দোলন
  • সরকারি কড়চা
  • বাংলার মুখ
  • বহির্বিশ্ব
  • তাহাদের কথা
  • অন্ধকারের উৎস হতে
  • সম্পাদকীয়
  • ইতিহাসের সরণি
Search
Generic filters

शहीद अस्पताल की जन्म कहानी

60658536_414747812441384_6693161843063521280_n
Dr. Asish Kumar Kundu

Dr. Asish Kumar Kundu

Physical Medicine & Rehabilitation Specialist
My Other Posts
  • January 7, 2022
  • 5:56 am
  • No Comments

मैं इस लेख को 1983 में शहीद अस्पताल उद्घाटन के पहले लिखा था।

दल्ली राजहरा के मजदूर तथा सारे छत्तीसगढ़ के मजदूर किसान के मन में एक सपना जाग रही है। एक नया सुंदर समाज बनाने का सपना। एक नन्हा सा अंकुर धीरे-धीरे खुल रहा है, वह एक सुंदर सा फूल बनेगा।  शहीद कॉमरेड अनुसुइया बाई के यादगार में आज इस अस्पताल का जन्म उसी सपने को साकार करने के तरफ एक कदम है।

सारे देश भर में मजदूर किसान और मेहनतकश जनता गरीबी और शोषण से त्रस्त है।

इस हालत में दल्ली राजहरा के मजदूर सन 1977 में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लिया और बड़े-बड़े यूनियन के गद्दारी और समझौते के रास्ते से अलग हो गया। वह लाल हरा झंडा लहराया और खुद का यूनियन बनाया। यह कोई छोटी बात नहीं थी। नया झंडा लहराने में गोली चली, 11 मजदूर शहीद हुए जिनमें कॉमरेड अनुसुइया बाई भी एक थी।

एक परंपरा को छोड़कर एक नया समाज बनाने की भावना इस झंडे में है। 1977 से लेकर आज तक जो कार्यक्रम लेकर मजदूर आगे बढ़ा है वह उसका एक एक कदम रहा है।

मजदूर अपनी मांग को लेकर लड़ाई करते आ रहे है। कई मांगे पूरी हो गई है, जैसे –  रोजी बढ़ा, छुट्टी का अधिकार मिला और पैसे बढे, बी.एस.पी. अस्पताल में इलाज का सुविधा मिला, घर के लिए बांस बल्ली का पैसा मिला। हरेक लड़ाई में जीत भी हुई। पर इतने में मजदूर खुश नहीं थे। क्योंकि मन में समाज के ढांचा को ही बदलने का सपना था।

इसलिए 77 से लेकर आज तक दल्ली के मजदूर कई एक स्कूल बनाये, को-ऑपरेटिव गैरेज चालू किया, शराबबंदी का कार्यक्रम लागू किया, जिसके तहत करीब 7000 मजदूर दारु पीना छोड़ दिया।

आज छत्तीसगढ़ के कोने कोने में जहां पर भी मजदूर किसान का लड़ाई चलता है वही दल्ली राजहरा के मजदूर अपना पूरा साधन और मेहनत से मदद करता है.

छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए अस्पताल बनाने का सपना सन 77 से ही दल्ली के मजदूरों के मन में था। सन 77 में ही कॉमरेड कुसुम बाई सही इलाज नहीं मिलने के कारण अपनी जान गवा दी। सन 80 में कॉमरेड पलटन का भी वही हाल हुआ, डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनका भी देहांत हो गया।

जब 77 में यूनियन ने अस्पताल बनाने का निश्चय किया तो यहां कुछ अनुभवी डॉक्टर भी आ गए। एक स्वास्थ्य समिति बनाया गया और 15 अगस्त, 1981 में “स्वास्थ्य के लिए संघर्ष करो” आंदोलन भी चालू किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य के बारे में लोगों को सही जानकारी देने का कोशिश किया गया ताकि बीमारी और इलाज के बारे में लोगों को गलतफहमी और संस्कार दूर हो सके।

अस्पताल बनने का काम चालू हो गया। दूसरी तरफ 26 जनवरी 1983 एक डिस्पेंसरी को चालू किया गया। अनुभवी मजदूर आगे आ गए, स्वास्थ्य कर्मी बनने के लिए। करीब डेढ़ साल में इस डिस्पेंसरी में करीब करीब 10000 मजदूर किसानों का इलाज हो चुका है। आज इस डिस्पेंसरी में 7 स्वास्थ्य कर्मी और 3 डॉक्टर काम कर रहे हैं। वे स्वास्थ्य कर्मी जरूरत के मुताबिक इलाज करते हैं, डिस्पेंसरी का पूरा देखभाल करते हैं, मरीजों के घर जाते हैं, समझाते और मदद करते हैं – साथ-साथ अपनी जानकारी को भी बढ़ाते जा रहे हैं।

आज इस इतिहास को पीछे रखकर हम डिस्पेंसरी छोड़कर अपने अस्पताल में जा रहे हैं। याद रखना है की इस अस्पताल के हर एक ईंट, हर एक जुड़ाई मजदूरों के पसीने और मेहनत से बना है। इस देश में बड़े-बड़े अस्पताल की कमी नहीं है, पर यह सब ठेकेदार और पूंजीपति लोगों के लिए है। यह बात सही है कि इन अस्पतालों में गरीब आदमी का भी इलाज होता है। पर वहां गरीब आदमी को हाथ पसार के जाना पड़ता है, कुछ दया के टुकड़े मिलते हैं, कुछ अच्छा इलाज मिल गया तो भगवान की कृपा माना जाता है। पर यह मजदूर किसान का अपना नहीं है।

आज मजदूरों ने अपना अस्पताल बनाया,- शायद इस देश में यह पहला मौका है जब मजदूरों ने अपना अस्पताल बनाया, और यही है इस अस्पताल का खासियत।

पर यह अस्पताल एक जगह खड़ा नहीं रहेगा। यह दिन-प्रतिदिन खुद को बदलते रहेगा। यह आज एक छोटा सा बच्चा है, जो एक दिन जवान होगा और फिर बड़ा होगा। बदलता रहेगा जब तक वह एक नए समाज के चिकित्सा पद्धति का केंद्र नहीं बन जाता।

अस्पताल अकेले नहीं बदल सकता है। मजदूर अपने को भी बदलेगा, नए तरिके अपनाएं जायेंगे, साथ-साथ अस्पताल को भी बदला जाएगा।

क्योंकि इस अस्पताल का मुख्य उद्देश्य है “मेहनतकशों के स्वास्थ्य के लिए मेहनतकशों का अपना कार्यक्रम”। मेहनतकशों ने अपना मेहनत और रोजी से इस कार्यक्रम को खड़ा किया है, पर इतना ही काफी नहीं है।

सवाल यह है कि इस कार्यक्रम को लेकर, इस अस्पताल को हम कहां पहुंचाना चाहते हैं और क्या-क्या बदलना चाहते हैं।

पहली बात तो यह है कि यह अस्पताल कैसे चलेगा, इसका निर्णय करना और इस अस्पताल का नियंत्रण मजदूरों के हाथों में रहना जरूरी है। क्या यह संभव है? क्या आज के मजदूरों के हालात ऐसे नहीं है कि वह अस्पताल को चला सके? हमारी डिस्पेंसरी का उदाहरण ले लीजिए, इस डिस्पेंसरी को डेढ़ साल से कुछ मजदूर ही चला रहे हैं। डॉक्टर तो सिर्फ मरीज ही देखते हैं। लेकिन और सभी काम, जैसे – हिसाब रखना, पैसों का लेनदेन, मोहल्ले में मजदूरों को समझाना, यह सभी काम खुद मजदूर ही करते हैं। अस्पताल चलना बेशक इससे बड़ी बात है। इसके लिए और स्वास्थ्य कर्मी की जरूरत है, स्वास्थ्य कर्मी को और जानकारी की जरूरत है। हम उस दिशा में ही आगे बढ़ रहे हैं।

दूसरी बात यह है की गरीब किसान मजदूरों के लिए सबसे अच्छा इलाज को सबसे कम खर्च में उनके घरों तक पहुँचाना। केवल एक अस्पताल से यह नहीं हो सकता। इसके लिए हमें एक तरफ गांव-गांव में बस्ती-बस्ती में ऐसे स्वास्थ्य कर्मी की जरूरत है जो लोगों का सही इलाज, सही सलाह दे सके और साथ-साथ जरूरत के मुताबिक मरीजों को अस्पताल में ला सकें। दूसरी तरफ इस काम के लिए आज व्यवस्था से ही टक्कर लेना है, बड़े-बड़े दवा कंपनी सस्ते दवा 100 गुना मुनाफा करके बेचते हैं, इसके खिलाफ हमें लड़ना है और साथ-साथ अपना परंपरागत छत्तीसगढ़ी इलाज में जो सही है, उसे अपनाना है। तीसरी और सबसे कठिन बात यह है कि हमें अपने आप को बदलना है। हमारे गलत धारणा, संस्कार, जादू-टोना के ऊपर विश्वास रखते हुए हम अपनी कार्यक्रम को आगे नहीं ले जा सकते हैं। हमें अपने विश्वास पर विचार करना है, इसके लिए भी हमारे स्वास्थ्य कर्मी मेहनत कर रहे हैं, जो लोगों से चर्चा करते हैं, मोहल्ला में प्रदर्शनी ले जाते हैं, सब बातों को वैज्ञानिक आधार पर खोजने की कोशिश करते हैं।

सवाल एक ही रह गया है। समाज को बदलने की लड़ाई के साथ अस्पताल और स्वास्थ्य कार्यक्रम का रिश्ता क्या है।

यह स्वास्थ्य कार्यक्रम अपने आप में ही एक आंदोलन है, एक लड़ाई है। एक तरफ यह कार्यक्रम लड़ाकू मजदूर का कार्यक्रम है, दूसरी तरफ इस कार्यक्रम को आगे ले जाना भी एक लड़ाई है। आज की समाज, आज की स्वास्थ्य व्यवस्था इसे मानने के लिए तैयार नहीं। इसलिए इस कार्यक्रम को हर एक कदम पर आज की व्यवस्था से टक्कर लेनी पड़ेगी। कहां जाता है कि – पुराने समाज में कोई नया समाज बसने की तैयारी ही आज की व्यवस्था से लड़ाई का जन्म देता है। जब तक शोषक वर्ग के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगा तब तक यह कार्यक्रम भी जिंदा रहेगा और आगे बढ़ेगा। कितने भी कठिनाई आए, आज की व्यवस्था इसे खत्म करने का कितना भी कोशिश करें, छत्तीसगढ़ के किसान मजदूर अपना खून पसीने से बनाया हुआ अस्पताल और कार्यक्रम को जिंदा रखने के लिए अपनी आखरी दम तक लड़ता रहेगा।

June 1983                                                                                                 आशीष कुमार कुंडू

                                                                                           E-mail : kkasish@gmail.com

PrevPreviousপ্রেগন্যান্সি ও মুখের স্বাস্থ্যঃ সমস্যা ও সমাধান পর্ব ২
Nextপুস্তক পরিচয়ঃ বিবর্তন আদি যুদ্ধ আদি প্রেমNext
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

সম্পর্কিত পোস্ট

মোৎফরাক্কা

April 1, 2023 No Comments

দেবুদা’র মুখে শব্দটা শুনে বেশ আলোড়িত হলাম। কতদিন বাদে শুনলাম। সেই ফরাক্কা! আহা আমার শৈশব কৈশোরের সেই প্রায় আবছা হয়ে আসা ইতিহাসে ফরাক্কা আজও উজ্জ্বল।

বিকল্প চিকিৎসা

March 31, 2023 No Comments

আমাদের চিকিৎসা ব্যবস্থা পুরোটাই গোলমেলে। একদল মানুষ প্রচুর পয়সা খরচ করে বিশেষজ্ঞ ডাক্তার দেখান- প্রচুর পরীক্ষা নিরীক্ষা করেন, অথচ তাঁদের তেমন রোগ নেই। আরেকদল মানুষের

An Open appeal to Doctors Opposing Right to Health Bill of Rajasthan

March 30, 2023 No Comments

Dear Healers: We would still use healers for the fraternity of doctors, as that is your prime occupation, to heal people, bodily and mentally. You

স্বাস্থ্যের অধিকার: অধিকারের সুরক্ষা

March 29, 2023 No Comments

করোনা দূর করতে আমাদের ঐতিহাসিক রাষ্ট্রীয় থালাবাটি বাজানো তৃতীয় বর্ষপূর্তির দিনে রাজস্থান সরকার স্বাস্থ্যের অধিকার বিল চালু করেছেন!মানুষের ভরসা ও স্ফূর্তির জন্যই যে এই পদক্ষেপ

Without Laboratory Activities: Further Progress of CMC and the Emergence of Modern Public Health

March 28, 2023 1 Comment

Preliminary Remarks As we shall see later, in the entire report of 1842-43, besides dissection, details of classes, different subjects taught in the College and

সাম্প্রতিক পোস্ট

মোৎফরাক্কা

Dr. Arunachal Datta Choudhury April 1, 2023

বিকল্প চিকিৎসা

Dr. Aindril Bhowmik March 31, 2023

An Open appeal to Doctors Opposing Right to Health Bill of Rajasthan

Doctors' Dialogue March 30, 2023

স্বাস্থ্যের অধিকার: অধিকারের সুরক্ষা

Dr. Koushik Lahiri March 29, 2023

Without Laboratory Activities: Further Progress of CMC and the Emergence of Modern Public Health

Dr. Jayanta Bhattacharya March 28, 2023

An Initiative of Swasthyer Britto society

আমাদের লক্ষ্য সবার জন্য স্বাস্থ্য আর সবার জন্য চিকিৎসা পরিষেবা। আমাদের আশা, এই লক্ষ্যে ডাক্তার, স্বাস্থ্যকর্মী, রোগী ও আপামর মানুষ, স্বাস্থ্য ব্যবস্থার সমস্ত স্টেক হোল্ডারদের আলোচনা ও কর্মকাণ্ডের একটি মঞ্চ হয়ে উঠবে ডক্টরস ডায়ালগ।

Contact Us

Editorial Committee:
Dr. Punyabrata Gun
Dr. Jayanta Das
Dr. Chinmay Nath
Dr. Indranil Saha
Dr. Aindril Bhowmik
Executive Editor: Piyali Dey Biswas

Address: 

Shramajibi Swasthya Udyog
HA 44, Salt Lake, Sector-3, Kolkata-700097

Leave an audio message

নীচে Justori র মাধ্যমে আমাদের সদস্য হন  – নিজে বলুন আপনার প্রশ্ন, মতামত – সরাসরি উত্তর পান ডাক্তারের কাছ থেকে

Total Visitor

429285
Share on facebook
Share on google
Share on twitter
Share on linkedin

Copyright © 2019 by Doctors’ Dialogue

wpDiscuz

আমাদের লক্ষ্য সবার জন্য স্বাস্থ্য আর সবার জন্য চিকিৎসা পরিষেবা। আমাদের আশা, এই লক্ষ্যে ডাক্তার, স্বাস্থ্যকর্মী, রোগী ও আপামর মানুষ, স্বাস্থ্য ব্যবস্থার সমস্ত স্টেক হোল্ডারদের আলোচনা ও কর্মকাণ্ডের একটি মঞ্চ হয়ে উঠবে ডক্টরস ডায়ালগ।

[wppb-register]